आर्थिक समीक्षा 2016-17 जो वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का फ्लैगशिप वार्षिक दस्ताकवेज है, विगत 12 महीनें में भारतीय अर्थव्यवस्था में घटनाक्रमों की समीक्षा करता है, प्रमुख विकास कार्यक्रमों के निष्पादन का सार प्रस्तुत करता है और सरकार की नीतिगत पहलों तथा अल्पावधि से मध्यावधि में अर्थव्यवस्था की संभावनाओं पर विधिवत प्रकाश डालता है। इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है।
यह रिपोर्ट एवं क्षेत्रक अर्थव्योवस्था के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए विस्तृसत आंकड़ों के साथ निम्नाकित मामलों का सिंहावलोकन करती है:
- आर्थिक संभावनाएं और नीतिगत चुनौतियां
- समय पूर्व परिपक्व, बंटे भारत के लिए आर्थिक स्वप्न
- विमुद्रीकरण: वरदान मानें या अभिशाप?
- द्वि तुलन पत्र की बिगड़ती समस्या
- राजकोषीय रूपरेखा: विश्व बदल रहा है, क्या भारत को भी बदलना चाहिए?
- राजकोषीय नियम: राज्यों से लिए गए सबक
- कपड़े और जूते: क्या भारत कम कौशल के विनिर्माण क्षेत्रों में जान फूंक सकता है।
- आर्थिक घटनाक्रम की समीक्षा
- सर्वजनीन बुनियादी आय: महात्मा के साथ और महात्मा के भीतर संवाद
- आय, स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता: समाभिरूपता की उलझनें
- एक आर्थिक भारत: वस्तुओं के लिए और संविधान की नजर में
- गतिशील और मंथनशील भारत – नए साक्ष्य
- ''वे दूसरे वाले भारत'' : राज्यों के विकास संबंधी दो विश्लेषणात्मक विवरण पुन: वितरित और प्राकृतिक संसाधन
- प्रतिस्पर्धी संघवाद से प्रतिस्पर्धी उप–संघवाद की ओर: परिवर्तन लाते शहर
यह दस्तावेज नीति निर्धारकों, अर्थशास्त्रियों, नीति विश्लेाषकों, व्यवसायियों, सरकारी एजेंसियों, छात्रो, अनुसंधानकर्ताओं, मीडिया तथा भारतीय अर्थव्यृवस्था के विकास में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी होगा।